फिर लौटेगी आस्था (कुण्डलिया छंद)
लौटेंगे फिर भक्तगण, नीलकण्ठ के धाम।
घंटे झालर बजेंगे, फिर से सुबहो शाम।।
फिर से सुबहो शाम, देव सलिला पूजेंगे।
भव्य आरती मंत्र, शंख के स्वर गूँजेंगे।।
ठंडाई के संग, भंग हर दिन घोटेंगे।
शिव को रखने भोग, भक्तगण फिर लौटेंगे।।
फिर से सुबहो शाम, देव सलिला पूजेंगे।
जवाब देंहटाएंभव्य आरती मंत्र, शंख के स्वर गूँजेंगे।। .......
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सच इंसान के हाथ में कुछ नहीं जब यह वह समझ लेता है तो फिर आस्था बनी रहती हैं ...