12 दिसंबर 2013

सोचती रहती दिल्‍ली

दे कर मौका एक अभी तो दूर है दिल्‍ली
न देती तो क्‍या करती सोचती रहती दिल्‍ली

कुछ में है विश्‍वास कुछ कर जायेंगे।
पढ़े लिखे हैं देखें कुछ तर जायेंगे।
वादे तो सब करते हैं जो करते कोशिश
चिकने घड़े नहीं हैं कुछ ठहर जायेंगे।

ले के वादा एक कहीं उड़े न खिल्‍ली
न देती तो क्‍या करती सोचती रहती दिल्‍ली।
  
बैठ पक्ष में ‘आप’ जाय और राज करे
शर्त यही है कि बस ना नाराज करे।
बिल्‍ली के ही भाग्‍य सही टूटा है छींका
मुद्दों पे कर के गठजोड़ ’आप’ ही राज करे।

दे सौगात एक दूर तो नहीं है दिल्‍ली
अब तो  बस यह ही सोचती रहती दिल्‍ली।

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