20 जून 2024

अब धरती को बंजर होने से बचाइए

छंद- शक्तिपूजा
विधान- 16, 8 पर यति अंत लघु गुरु/गुरु लघु/ लघु लघु लघु हो सकते हैं। यति के बाद अठकल हो।  
अपदांत
समांत- आइए

अब धरती को बंजर होने, से बचाइए ।
पानी जितना हो सकता है, कम बहाइ‍ए ।   

आग बरसती है अब  धरती, पर गर्मी में,
बना नालियाँ वृक्षों पौधों, को पिलाइए।

खूब पीजिए पानी कम ना, हो तन में जल,
हो काम तभी बाजार सुबह-शाम जाइए।

जल है तो जीवन है जल बिन, जल जाएगा,
जीवन  मुरझाए न जुगत ऐसी लगाइए ।

बाँधे खूब परिंडे भर दें पानी से नित,
पंछी आएँगे अपनापन, भी जताइए।

हर पथ पगडंडी पर हों अब, वृक्षावलियाँ,
वृक्षाच्‍छादित गाँव शहर हो, कर दिखाइए।          

अगर ठान ले तो क्‍या ना हो, सकता ‘आकुल’,
धरती को अब नंदन कानन, सा बनाइए।

 

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