विधान- आदि त्रिकल(12/21)-द्विकल(11/2),
अंत त्रिकल
(21 अनिवार्य)
समांत/तुकांत- आर.
बस रहे सिर्फ प्यार ही प्यार.
हृदय में, रात दिन, हो उमंग,
बीत जायें, यूँ ही, दिन चार.
झूठ से, न नर्क, बनता स्वर्ग,
सत्य जीवन, का हो, आधार.
प्यार में न हो, छद्म, छल और,
कभी भी, कहीं नहीं व्यापार.
हो न, मतभेद और मनभेद,
भेदना, मन हो, कर मनुहार.
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