23 सितंबर 2018

बना मन ऐसा इक संसार (गीतिका)


छंद- शृंगार  
विधान- आदि त्रिकल(12/21)-द्विकल(11/2),
अंत त्रिकल (21 अनिवार्य)
समांत/तुकांत- आर.

बना मन, ऐसा इक, संसार.
बस रहे सिर्फ प्यार ही प्यार.

हृदय में, रात दिन, हो उमंग,
बीत जायें, यूँ ही, दिन चार.

झूठ से, न नर्क, बनता स्वर्ग,
सत्य जीवन, का हो, आधार.

प्यार में न हो, छद्म, छल और,
कभी भी, कहीं नहीं व्यापार.

हो न, मतभेद और मनभेद,
भेदना, मन हो, कर मनुहार.

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