छंद-
सार
विधान-
16, 12. अंत 2 गुरु वाचिक
अपदांत/समांत-
आयें
आओ
श्रद्धा और प्रेम से, पर्व प्रकाश मनायें.
मत्था
टेक नगर परिक्रमा, में शामिल हो आयें.
चलें
सजी पालकी में गुरुग्रंथ साहिब के आगे,
सजे
चल रहे पंज प्यारों को पुष्प माल धरायें.
शबद
कीरतन में संगत कर करें निहाल स्वयं को,
गतका
के अद्भुत खेलों से सबका जोश बढ़ायें.
प्रगटे
कार्तिक पूनौ तलवंडी में गुरु नानकजी,
इस
आध्यात्मिक गुरु की वाणी को साकार बनायें.
नानक शाह, गुरु नानक देव, सिखों के आदि गुरु के,
दस उपदेशों
को अपनायें जीवन धन्य बनायें.
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