छंद-
रोला
सीख सके तो सीख, कहा है समय अटल है.
रह प्रकृति
से विमुख, झेलना नित विपदायें,
सँभल
सके तो सँभल, न सँभले तो हलचल है.
विधान- 11, 13. रोला का विषम चरण दोहे का सम चरण होता है. विषम चरण का आरंभ त्रिकल या चौकल से हो तो उसके बाद भी त्रिकल या चौकल की पुनरावृत्ति आवश्यक है. यानि इसका चलन 443 या 3323 होना चाहिए एवं सम चरण 32332 या 3244 होना चाहिए.
सीख सके तो सीख, कहा है समय अटल है.
अकर्मण्य
भयभीत, कहा है जन्म विफल है.
नहीं
कहीं भी तोड़, सका कोई पैमाना,
सदा
करे जो कर्म, सुखी है और सफल है.
जो
समझे सत्कर्म, सदा जाने सर्वोपरि,
करता
हैं जो कर्म, उसी का भाग्य प्रबल है.
बिना
प्रदूषण हटे, कल्पनातीत भोग-सुख ,
इसका
नहीं विकल्प, न इसका कोई हल है.
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