छंद- पदपादाकुलक चौपाई
प्रदत्त पदांत- है
प्रदत्त समांत- अहना
लज्जा नारी का गहना है.
यह विद्वानों का कहना है.
श्रद्धा है वह, है वह लक्ष्मी,
सौभाग्यावती भी रहना है.
माँ बहिन, बहू है वह बेटी,
रिश्तों में उसको बहना है.
नारी ज्योतिर्मयी स्वयंप्रभा,
जीवन संपूर्ण अदहना* है.
है धुरी निलय की वसुंधरा,
इसलिए सभी कुछ सहना है.
अर्द्धांगिनी’ कहते नारी को,
बाना शिव ने भी पहना है.
है यक्ष प्रश्न क्यों पुरुष अड़ा,
क्या संस्कृति को फिर ढहना है?
*अदहना- खौलते हुए पानी वाला बर्तन
प्रदत्त पदांत- है
प्रदत्त समांत- अहना
लज्जा नारी का गहना है.
यह विद्वानों का कहना है.
श्रद्धा है वह, है वह लक्ष्मी,
सौभाग्यावती भी रहना है.
माँ बहिन, बहू है वह बेटी,
रिश्तों में उसको बहना है.
नारी ज्योतिर्मयी स्वयंप्रभा,
जीवन संपूर्ण अदहना* है.
है धुरी निलय की वसुंधरा,
इसलिए सभी कुछ सहना है.
अर्द्धांगिनी’ कहते नारी को,
बाना शिव ने भी पहना है.
है यक्ष प्रश्न क्यों पुरुष अड़ा,
क्या संस्कृति को फिर ढहना है?
*अदहना- खौलते हुए पानी वाला बर्तन
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