7 नवंबर 2018

देखें चलो दिवाली में (नवगीत)


देखें चलो दिवाली में

देखें चलो दिवाली में,
क्‍या मौसम बदला ?

काक हंस की चलें न चाल
देखा नहीं उन्हें वाचाल
कोयल से भी दिखा न वैर
देख बया को भी खुशहाल

रावण के संहारों से 
क्या मौसम बदला ?

कहीं न देखे रँगे सियार,
उल्‍टी बहे न कहीं बयार.
नहीं दहाड़ सिँह की सुनते
मृग के कम ही हुए शिकार.

जंगलराज नहीं ऐसा
क्‍या मौसम बदला ?
चंदन से लिपटें नहिं सर्प
छिपे हुए हैं सब कंदर्प
टूटी नींद, खाम-खयाली,
टूटे देखे सबके दर्प

रामराज्‍य की आहट से
क्‍या मौसम बदला ?

अरे, नहीं यह ग्रहण काल है
चुप हैं खूब पर उबाल है
कैसे लाँघे लक्ष्‍मण रेख
मन में खूब पर मलाल है

पाँवों में निबंधनी से
क्‍या मौसम बदला?

सरहद पर ना दिखें कुचाली
वहाँ रात हों ना अब काली
मौका नहीं देखता भाग्‍य,
हरकत हो तो हो दीवाली

युद्ध प्रेम में कहीं कभी
क्‍या मौसम बदला ?

मोह्रे चलें सोच समझ कर
बदलें राज सोच समझ कर
दीवाली हर वर्ष मनेगी

बदलें चाल सोच समझ कर

पैदल मात नहीं दी तो
क्‍या मौसम बदला ?
 

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