गीतिका
मापनी- 112
222
पदांत- 0
संमात- आनी
हम हिंदुस्तानी
।
दुनिया भी
मानी ।
घर घाती
लाँघे,
हद हो
मैदानी ।
सिर से
कैसे भी,
गुजरे ना
पानी ।
जब भी धोखे
से,
नजरें हैं
तानी ।
हर मोके पे
दी,
हमने
कुर्बानी ।
रख ध्वज
ऊँचा,
महिमा है
गानी ।
मरना जीना
है,
इस पे है ठानी ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें