6 सितंबर 2022

सिंहावलोकन मुक्‍तक

1
शान बढ़े संतान से, करते जब वे नाम, 
नाम डुबोते हैं कई, कर के बिगड़े काम, 
काम धाम और नाम ही, पुजते हैं हर वक्‍त, 
वक्‍त रहे सँभलें वही,  होते हैं अभिराम।  
2
चाल समय की समझिए देता दुख-सुख साथ, 
साथ समय के जो चला, होता तंग न हाथ, 
हाथ नहीं आता समय, दे कर जाता सीख, 
सीख उसी को दीजिए. रखता जो सिर माथ।  
3 
प्रकृति बनी इनसान की, नित बोले सच झूठ, 
झूठ बहाने बनें जब,  बच्‍चा जाता रूठ, 
रूठ गई किस्‍मत कभी, ले कर के भी कर्ज, 
कर्ज मर्ज में आज भी, तंत्र मंत्र अरु मूठ।     
4 
काम सदा जो कल पर छोड़े, वह पछताता  
पछताता वह भी जो बैठे, समय गँवाता 
समय गँवाता नहीं चले वह, चाहे धीरे, 
धीरे चले रखे धीरज वह, मंजिल पाता ।

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