29 दिसंबर 2022

आया समय ना रोके रुका है

 गीतिका 

छंद- द्विगुणित गंग  (मात्रिक)
गण- तगण गुरु तगण गुरु
मापनी- 221 22 221 22
पदांत- है
समांत- उका

आया समय ना, रोके रुका है ।
वो ही जिया जो, हँस के झुका है।

जो भी किया है, अच्‍छा बुरा सब, 
इस जन्‍म में ही, सारा चुका है।

कोई कहे यह, पहले जनम का,
यह प्रश्‍न करना, ही बेतुका है।

कल जो किया था, वह सिलसिला ही,
नवरूप में जो, आना लुका है।

इस से नहीं बढ़, कर सत्‍य शाश्‍वत,
यह खेल सब जीवन मृत्‍यु का है।          

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