सर्दी के
मौसम को दुबके,
हर प्राणी ने झेला है ।
जब से सुना शोर बच्चों का, मन ने उसे धकेला है।
जब से सुना
शोर बच्चों का.....
बच्चे ही हैं जिनको मौसम, कभी हरा ना पाएगा,
होड़ मची है तरह तरह की हर कोई
लहराएगा,
जब से सुना
शोर बच्चों का.....
राह बदलने की तैयारी, सूरज ने है तय कर लीं,
चुना उत्तरायण का पथ अब, वल्गाएँ रथ की मचलीं,
मौसम को
आगाह किया सुन नए साल का हेला है।
जब से सुना
शोर बच्चों का.....
ली अँगड़ाई जीवन ने यह पर्व अनोखा बच्चों का,
वो मारा, वो काटा सुन, दिल धड़का अच्छे-अच्छों का,
भरा हुआ आकाश पतंगों, से जैसे इक मेला है ।
जब से सुना
शोर बच्चों का.....
फूली सरसों खेत लहलहाए, जन जीवन हर्षाया,
भुनगों ने
की मस्ती संग पवन ने भी जग महकाया,
धरा हुई अब
रंग बिरंगी पर्व यह नया नवेला है।
जब से सुना
शोर बच्चों का.....
गजक, रेवड़ी, तिल-पपड़ी की है बहार बाजारों में,
दान धर्म,
स्नान नदी में है अब भी हैं संस्कारों में,
पुण्य कमा
थोड़ा जीवन तो चला चली का खेला है।
जब से सुना
शोर बच्चों का.....
लिए हौसला चले लिए बच्चे सब डोर पतंगों को ।
कोई छेड़े नहीं हौसलें दें निष्पाप
उमंगों को।
मौसम ने भी देखा आगे, अब बसंत की बेला है ।
जब से सुना
शोर बच्चों का.....
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