माता कौ वह पूत है, पत्नी कौ भरतार।
बच्चन कौ वो बाप है, घर में वो सरदार।।1।।
पालन पोषण वो करै, घर रक्खे खुशहाल।
देवे हाथ बढ़ाय कै, सुख-दु:ख में हर हाल।।2।।
मैया कौ अभिमान है, माँग भरे सिन्दूर।
दादा दादी हम सभी, उनसे रहें न दूर।।3।।
अपनौ अपनौ काम कर, देवें जो सहयोग।
पिता न पीछे कूँ हटे, कैसो हु हो संजोग।।4।।
कंधे सौं कंधा मिला, जा घर में हो काज।
पिता कमाये न्यून भी, रूके न कोई काज।।5।।
प्रतिनिधित्व घर कौ करै, जग या होय समाज।
बंधु बांधवों में रहे, बन के वो सरताज।।6।।
वंश चले वा से बढ़ै, कुल कुटुम्ब कौ नाम।
मात पिता कौ यश बढ़ै, करें सपूत प्रणाम।।7।।
परमपिता परमात्मा, जग कौ पालनहार।
घर में पिता प्रमान है, घर कौ तारनहार।।8।।
बेटी खींचे जनक हिय, बेटा माँ की जान।
बने सखा जब पूत के, भिड़ें कान सौं कान।।9।।
मातृ-पितृ-गुरु-राष्ट्र ऋण, कोउ न सक्यो उतार।
जीवन मे इन चार की, चरणधूलि सिर धार।।10।।
‘आकुल’ महिमा जनक की, जिससे जग अंजान।
मनुस्मृति में लेख है, सौ आचार्य समान।।11।।
(उपाध्यायान् दशाचार्य आचार्याणां शतं पिता।
सहस्त्रं तु पितृन् माता गौरवेणातिरिच्यते।।)
मनुस्मृति (2 /145)
आज पितृ दिवस पर
पितृ दिवस पर हमारी भी बधाईयां
जवाब देंहटाएंपितृ दिवस पर आपके द्वारा की गयी इस सुंदर प्रस्तुति की चर्चा ब्लॉग4वार्ता में की गयी है !!
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