28 अगस्त 2022

सभी को जहाँ में उजाले मिले हैं

गीतिका
छंद- भुजंग प्रयात
मापनी- 122 122 122 122
पदांत- मिले हैं
समांत- आले
सुलाया न भूखा निवाले मिले हैं।
पले गूदड़ी में भी’ लाले मिले हैं।1।
पिटारा मिला है सभी को खुशी का,
लगे चाहे’ किस्मत के’ ताले मिले हैं।2।
पड़े हैं, सड़े हैं, लगे जंग सारे,
अकर्मण्य ही बैठे’ ठाले मिले हैं।3।
बनें घास पत्ते सभी खाद इक दिन,
भले उनके घूरे अटाले मिले हैं।4।
नहीं फूल देते कभी दर्द या ग़म,
मगर कंटकों से तो छाले मिले हैं।5।
चलें खोटे सिक्के नकारा जिन्हें भी,
सभी काम आते सँभाले मिले हैं ।6।
नहीं दोष देना अँधेरों को ‘आकुल’,
सभी को जहाँ में उजाले मिले हैं।7।

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