छंद-
विध्वंकमाला (वार्णिक)
विधान-
11 वर्ण,
पदांत-
0
समांत-
आयें
सत्ता
मिली देश ऊँचा उठाएँ।
उत्कर्ष
की भी खुलें नौ दिशाएँ।
आश्वासनों
से प्रजा में घिरो तो,
विश्वास
में ले समाधान लाएँ।
सामर्थ्यशाली
बनें धर्म जीते,
सत्कर्म
स्वाध्याय नेता बनाएँ।
शिक्षा
बनाती हमें स्वावलंबी,
प्रारब्ध
संस्कार से ही रचाएँ।
जो भी
करें राष्ट्र लाभार्थ ही हो,
माँ
भारती के सदा गीत गाएँ।।
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