1 जनवरी 2012

गुलदस्ता तारीखों का ले कर आया दो हजार बारह

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कड़वी मीठी यादों संग वि‍दा दो हजार ग्‍यारह।
ढेर उमंगों को ले कर आया दो हजार बारह।।

छेड़ी मुहि‍म है सब ने खुशहाल हो जन जन जन
भ्रष्टाचार से मुक्ति मि‍ले जगे अब जन जन जन
धरती को हर प्रदूषण से परे करे जन जन जन
वन सघन की खाति‍र वृक्ष लगाये जन जन जन

आरक्षण का सि‍र दर्द दे गया दो हजार ग्यारह
उम्मीदों का सूरज ले कर आया दो हजार बारह

हाथ दो हैं काम करें दुगनी गति‍ से हर दम
पाँव दो हैं मंजि‍ल चढें मंथर गति‍ से हर दम
दो आँख हैं चौकन्ने रहें व्यति‍ गति‍ से हर दम
कान दो हैं सुने पर करें अपनी म‍‍ति‍ से हर दम

वक्‍त ने कब बख्शा चला गया दो हजार ग्यारह
नया वक्त‍ फि‍र ले कर आया दो हजार बारह

न दें मौके न जाने वक्त का मि‍जाज कब बदले
ख़ुदा न जाने कि‍स मर्ज का इलाज कब बदले
नयी फ़ज़र में न जाने कि‍स का ताज कब बदले
बेशक़ीमती साल की तारीखों का अंदाज कब बदले


कई तारीखों को तारीख़ बना गया दो हजार ग्यारह
गु़लदस्ता तारीखों का ले कर आया दो हजार बारह

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