10 सितंबर 2012

हिन्‍दी को करें बेहिसाब प्‍यार


हिन्‍दी को करें हम अब, बेहिसाब प्‍यार।
मातृ भाषा, राष्‍ट्रभाषा का गौरव अपार।

सीखें, बोलें इसकी बतायें विशेषता।
भाषाएँ दिखादें अनेकता में एकता।
राष्‍ट्र की हो एक भाषा एक रूपता।
विश्‍व में तभी बनेगी इसकी श्रेष्‍ठता।

हिन्‍दी बोलना, समझना राष्‍ट्रीय विचार।
हिन्‍दी को करें हम अब, बेहिसाब प्‍यार।

तुलसी ने रची रामचरित मानस हिन्‍दी में।
सागर ने टी0वी0 सीरियल रामायण हिन्‍दी में।
बी0आर0चौपड़ा ने महाभारत हिन्‍दी में।
गाता है पूरा देश राष्‍ट्रगान हिन्‍दी में।

हिन्‍दी बोलें, पढ़ें ओर गाएँ साधिकार।
हिन्‍दी को करें हम अब, बेहिसाब प्‍यार।

विदेश में प्रवासी हैं हिन्‍दी के प्रतिनिधि।
हिन्‍दी सेवा में संलग्‍न कोई सी भी विधि।
भारत है संस्‍कृति सभ्‍यता का महा उदधि।
विदेशी आकर्षण से बँधे आते हैं सन्निधि।

आओ करें ऐसा कुछ हो जाए चमत्‍कार।
हिन्‍दी को करें हम अब, बेहिसाब प्‍यार।

आकुल, कोटा

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