
श्री भट्ट को चयन प्रक्रिया के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि आपकी साहित्यिक यात्रा में निर्णायकों को आपके शब्द संयोजन की विधा वर्गपहेली निर्माण ने उन्हें सर्वाधिक प्रभावित किया। 1993 से 2008 तक लगातार लगभग 7000 हिंन्दी वर्गपहेली के निर्माण में उन्होंने जो शब्दों के माध्यम से हिन्दी की सेवा की है और अब ई पत्रिका ‘अभिव्यक्ति’ से जुड़े हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्गपहेली के माध्यम से हिंदी भाषा की सेवा कर रहे हैं, ‘शब्द श्री’ मानद उपाधि दे कर श्री भट्ट का ही नहीं, हिन्दी भाषा का भी सम्मान करते हुए वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। ‘जीवन की गूँज’ कृति की भी प्रशंसा करते हुए उन्होने कहा कि कृति गद्य-पद्य विधा में अपने आप में अनोखी है। ऐसा साहित्यिक सृजन कम ही होता है।
23अप्रेल को पुस्तक दिवस के अवसर पर जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष श्री रघुनाथ मिश्र और सचिव श्री नरेन्द्र कुमार चक्रवर्ती व अन्य जलेस सदस्यों ने श्री मिश्र के घर हुई बैठक में श्री भट्ट को ‘शब्द श्री’ की मानद उपाधि एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त होने पर शुभकामनायें दीं और मंगलमय साहित्यिक यात्रा की उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए अनवरत यात्रा कर हिन्दी की सेवा करते रहने का आग्रह किया ।