8 नवंबर 2012

मेले


मेले खुशियों का जहान होते हैं
ज़मीं पे जन्‍नत का गुमान होते हैं
मिलते हैं अजनबी भी मुहब्‍बत से यिहाँ
इसमें कोई भी नहीं बदज़बान होते हैं
नाज़नीनों की शोख अदाओं के जल्‍वे
गुलबाज़ों के क़सीदों के मीज़ान होते हैं
छू छू के निकलते हैं सभी एक दूजे से जैसे
पर्व पर तीरथ में गंगा स्‍नान होते है
तहज़ीब, नेक इरादे, अम्‍नोवफ़ा के देते हैं पैग़ाम
जो जिएँ दूसरों के लिए वही इनसान होते हैं
'आकुल' मनते रहें उर्स, पर्व, त्‍योहार, मेले सदा
ऐसे जश्‍ने अज़ीमों से देश महान् होते हैं


जन्‍नत- स्‍वर्ग, तहज़ीब- सभ्‍यता, संस्‍कृति,  नाज़नीन- सुंदरी,
गुलबाज़ों- सुंदरियों पर फूल फैंकने वाले (आशिक़),  मीज़ान- मस्जिद में अजान की जगह,  
क़सीदों- प्रशंसा में कहे गये शब्‍द, एक प्रकार की नज्‍़म, जश्‍ने अज़ीमों- बड़े पर्व या त्‍योहार

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