मेले खुशियों का जहान होते हैं
ज़मीं पे जन्नत का गुमान होते हैं
मिलते हैं अजनबी भी मुहब्बत से यिहाँ
इसमें कोई भी नहीं बदज़बान होते हैं
नाज़नीनों की शोख अदाओं के जल्वे
गुलबाज़ों के क़सीदों के मीज़ान होते हैं
छू छू के निकलते हैं सभी एक दूजे से जैसे
पर्व पर तीरथ में गंगा स्नान होते है
तहज़ीब, नेक इरादे, अम्नोवफ़ा के देते हैं पैग़ाम
जो जिएँ दूसरों के लिए वही इनसान होते हैं
'आकुल' मनते रहें उर्स, पर्व, त्योहार, मेले सदा
ऐसे जश्ने अज़ीमों से देश महान् होते हैं
जन्नत- स्वर्ग, तहज़ीब- सभ्यता, संस्कृति, नाज़नीन- सुंदरी,
गुलबाज़ों- सुंदरियों पर फूल फैंकने वाले (आशिक़), मीज़ान- मस्जिद में अजान की जगह,
क़सीदों- प्रशंसा में कहे गये शब्द, एक प्रकार की नज़्म, जश्ने अज़ीमों- बड़े पर्व या त्योहार
जन्नत- स्वर्ग, तहज़ीब- सभ्यता, संस्कृति, नाज़नीन- सुंदरी,
गुलबाज़ों- सुंदरियों पर फूल फैंकने वाले (आशिक़), मीज़ान- मस्जिद में अजान की जगह,
क़सीदों- प्रशंसा में कहे गये शब्द, एक प्रकार की नज़्म, जश्ने अज़ीमों- बड़े पर्व या त्योहार
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