1-
हिन्दी की बस बात ही, करें न अब हम लोग।
मिलजुल कर अब साथ ही, देना है सहयोग।
देना है सहयोग, राजभाषा है अपनी।
नहीं बनी अब तलक, राष्ट्रभाषा यह अपनी।
होगा जन-जन नाद, प्रखर तब होगी हिन्दी।
लेंगे जब संकल्प, शिखर पर होगी हिन्दी।।
2-
मोबाइल की क्रांति से, सम्मोहित जग आज।
वैसी ही इक क्रांति की, बहुत जरूरत आज।
बहुत जरूरत आज, देश समवेत खिलेगा।
कितनी है परवाज़, तभी संकेत मिलेगा।
इकजुट हो बस देश, अब हिन्दी की क्रांति से।
आया जैसे दौर, मोबाइल की क्रांति से। ।
3-
हिन्दी के उन्नयन को, बने राय मिल बैठ।
गाँव-गाँव अभियान से, सभी बनायें पैठ।
सभी बनाये पैठ, सोच सबकी बदलेगी।
निज भाषा का गर्व, नयी इक दिशा मिलेगी।
कह 'आकुल' कविराय, अनोखी अपनी हिन्दी।
निश्चय ही सिरमौर, बनेगी अपनी हिन्दी।।
हिन्दी की बस बात ही, करें न अब हम लोग।
मिलजुल कर अब साथ ही, देना है सहयोग।
देना है सहयोग, राजभाषा है अपनी।
नहीं बनी अब तलक, राष्ट्रभाषा यह अपनी।
होगा जन-जन नाद, प्रखर तब होगी हिन्दी।
लेंगे जब संकल्प, शिखर पर होगी हिन्दी।।
2-
मोबाइल की क्रांति से, सम्मोहित जग आज।
वैसी ही इक क्रांति की, बहुत जरूरत आज।
बहुत जरूरत आज, देश समवेत खिलेगा।
कितनी है परवाज़, तभी संकेत मिलेगा।
इकजुट हो बस देश, अब हिन्दी की क्रांति से।
आया जैसे दौर, मोबाइल की क्रांति से। ।
3-
हिन्दी के उन्नयन को, बने राय मिल बैठ।
गाँव-गाँव अभियान से, सभी बनायें पैठ।
सभी बनाये पैठ, सोच सबकी बदलेगी।
निज भाषा का गर्व, नयी इक दिशा मिलेगी।
कह 'आकुल' कविराय, अनोखी अपनी हिन्दी।
निश्चय ही सिरमौर, बनेगी अपनी हिन्दी।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें