आधार
छंद- भुजंग प्रयात
मापनी-
122 122 122 122
धरे
हाथ पर हाथ बैठे रहोगे.
अगर
दो कदम भी न आगे बढ़ोगे.
मिलेगी
नहीं मंजिलें जान लो तुम,
हमेशा
सफर में अकेले चलोगे.
इसी
बात का तो रहेगा सदा दुख.
बिना
ध्येय के युद्ध कैसे लड़ोगे
न
समझा अभी तक रहोगे न इकजुट
कहाँ
जा मुसीबत किसी से कहोगे
अकेले
रहोगे, सज़ा है समझ लो
किसी
दिन बग़ावत ख़ुद से करोगे.
चलो
मान भी लें, अकेले जिये हो,
तुम्हारा
किया भी तुम्ही तो भरोगे.
स्वयं
के लिए जो किया तो किया क्या
करो
दूसरों के लिए तो पुजोगे.
जनम
है लिया राज इसमें छिपा है,
परमसुख
मिलेगा जो’ माध्यम बनोगे .
स्वयं के लिए जो किया तो किया क्या
जवाब देंहटाएंकरो दूसरों के लिए तो पुजोगे.
जनम है लिया राज इसमें छिपा है,
परमसुख मिलेगा जो’ माध्यम बनोगे
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