गीत
===
यह पथ है नववर्ष का, जुट जाओ नि:स्वार्थ.
जीवन तो पुरुषार्थ ही से अब होगा चरितार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
राग द्वेष सब भूल कर, संग मित्र परिवार.
आज समय है सब करें,संघ मित्र सा प्यार.
कर गुजरो कुछ अनछुआ,
बिन कोई हित-स्वार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
सब अपने सँग हैं तभी, है वसुधैवकुटुम्ब,
सर्वधर्म समभाव से, लगते मेले कुंभ.
कुछ ऐसा कर जाइये,
हो हर कृत्य कृतार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
रामायण से सीखिए, मर्यादा और धीर.
महासमर रक्तिम करें, गंगा यमुना तीर.
पाप सदा धुलते रहे,
करते जो परमार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
पुराणों की धरा, गीता का उपदेश,
कर्म बने आदर्श तब, ऊँचा उठता देश.
जीवन अर्पण कीजिए,
कर्म प्रवण निहितार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
श्रीकृष्ण शरणं मम, रे मानव दिड्.मूढ़,
योग, शांति के मार्ग पर, रहना तू आरूढ़
जीवन को तू धन्य कर,
चल पथ पर सत्यार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
मोक्ष शांति का उत्स है, मिलता कहाँ सहर्ष
कुछ खो कर ही पा सके, जीवन में उत्कार्ष
कर्मों से ही हैं बने,
वर्द्धमान, सिद्धार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
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यह पथ है नववर्ष का, जुट जाओ नि:स्वार्थ.
जीवन तो पुरुषार्थ ही से अब होगा चरितार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
राग द्वेष सब भूल कर, संग मित्र परिवार.
आज समय है सब करें,संघ मित्र सा प्यार.
कर गुजरो कुछ अनछुआ,
बिन कोई हित-स्वार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
सब अपने सँग हैं तभी, है वसुधैवकुटुम्ब,
सर्वधर्म समभाव से, लगते मेले कुंभ.
कुछ ऐसा कर जाइये,
हो हर कृत्य कृतार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
रामायण से सीखिए, मर्यादा और धीर.
महासमर रक्तिम करें, गंगा यमुना तीर.
पाप सदा धुलते रहे,
करते जो परमार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
पुराणों की धरा, गीता का उपदेश,
कर्म बने आदर्श तब, ऊँचा उठता देश.
जीवन अर्पण कीजिए,
कर्म प्रवण निहितार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
श्रीकृष्ण शरणं मम, रे मानव दिड्.मूढ़,
योग, शांति के मार्ग पर, रहना तू आरूढ़
जीवन को तू धन्य कर,
चल पथ पर सत्यार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
मोक्ष शांति का उत्स है, मिलता कहाँ सहर्ष
कुछ खो कर ही पा सके, जीवन में उत्कार्ष
कर्मों से ही हैं बने,
वर्द्धमान, सिद्धार्थ.
यह पथ है नववर्ष का........
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