19 सितंबर 2024

सभी पितृ चरणों को वंदन करें

गीतिका 
छंद- नरहरि
विधान- प्रति चरण 19 मात्रा । 16, 3 पर यति। अंत लघु-गुरु 
पदांत- करें 
समांत- अन 

सभी पितृ चरणों को वंदन, करें।

विहित कर्म सर्वजन सहज मन, करें।  

इतना करें न कर पाएँ तर्पण यदि ,

समक्ष सूर्य जलांजलि अर्चन, करें।

 

मृत्‍यु चतुर्दशी पूर्णिमा हो, अगर, 

व्‍यतीपात महालय प्रबंधन, करें।  

 

श्राद्ध हो सके न परिस्थितिवश किसी,

सर्वपितृ मावस समावर्तन, करें।

 

न कर पाएँ फिर भी सकारण, तभी,
बिना गऊ ग्रास दे न भोजन, करें। 

 

संस्कार हम सब के धरोहर, सभी,
समाधान ढूँढें न विलोपन, करें।  

 

सदा सोचते रहें पीढ़ि‍यों के, लिए,
कि क्या दे चलें नित्‍य मंथन करें।

 

18 सितंबर 2024

हिन्दी, से ही अपना हिन्दुस्तान है

हिन्दी, से ही हम सब की पहचान है।
हिन्दी, से ही अपना हिन्दुस्तान है।]
अपनी शान है
अपनी आन है।
हिन्दीसे ही अपना हिन्दुस्तान है।

रात दिन यह बढ़ रही है।
अब शिखर पर चढ़ रही है।
कीर्तियाँ भी गढ़ रही है।
हिंदी, संस्कृत का इक वरदान है।
हिन्दी, से ही हम सब की पहचान है।
अपनी शान है।
अपनी आन है।
हिन्दी, से ही अपना हिन्दुस्तान है।

बादलों के पार भी है।
सागरों के पार भी है।
मानता संसार भी है।
हर इक, बोलियों में इसका मान है।
हिन्दी, से ही हम सब की पहचान है।
अपनी शान है।
अपनी आन है।
हिन्दी से ही अपना हिन्दुस्तान है।

सरहदों पर चल रही है।
हर घरों में पल रही है 
धड़कनों में बस रही है।
अपनी, संस्कृति का यह अभिमान है।
हिन्दी, से ही हम सब की पहचान है।
अपनी शान है।
अपनी आन है।
हिन्दी से ही अपना हिन्दुस्तान है।
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