विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँँ |
1
आजादी से पहले बिरतानिया में सूरज नहीं कभी अस्त होता था.
अत्याचार तब देश में भारतीयों पर दिनोंदिन जबरदस्त होता था.
काश हिंदी राष्ट्रभाषा तय हो जाती हर भारतीय तब देश के लिए,
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँँ हमारा, गाता और मस्त होता था.
2
आदमी आलस्य त्याग नई ऊर्जा भरते हैं जब सूर्य उदय होता है .
पंछी भी नई ऊर्जा ले परवाज भरते हैं जब सूर्य उदय होता है.
प्रकृति भी अपनी अनुपम छटाएँँ बिखेरती है ऊर्जा ले कर सूर्य से,
जीवन सारे इसी ऊर्जा से उम्र तय करते हैं, जब सूर्य उदय होता है.
3
भूल-चूक लेनी-देनी, व्यवहार चला ऐसे जब से.
दुनियादारी निभी और घर-बार पला ऐसे तब से.
इसीलिए जड़ जमी हुई युग युग से भ्रष्टाचारी की,
लेन-देन की दौलत से व्यापार फला ऐसे तब से.
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