जो जीत के न पा सके
गीतिकाा
छंद- नराचिका
वाचिक मापनी पर आधारित
2212 1212
जो जीत के न पा सके
वो रीति से न पा सके
जो पालता है दंभ को
वो नीति से न पा सके
हैं वीर वो स्वदेश की
सेवा में’ काम आ सके
वो राज है जहान में
जो प्रीति से बना सके
बीती वही बिसारते
जो वर्द्धमान ला सके
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