25 जनवरी 2017

है प्रभुत्‍व नारी का

गीतिका 

क्‍या दंगल क्‍या खेल, सभी में है प्रभुत्‍व नारी का.
क्‍या धरती क्‍या आसमान में है प्रभुत्‍व नारी का.

सत्‍ता की ऊँचाई हो या, भद्र प्रशासन का पद,
रंगमंच, तीनों सेना में है प्रभुत्‍व नारी का.

पर्वों त्‍योहारों में सर्वोपरि सम्‍मान निहित है,
घर की हर परम्‍पराओं में है प्रभुत्‍व नारी का.

संस्‍कार की नींव डालती बच्‍चों में घर-घर में,
संरक्षण की बागडोर में है प्रभुत्‍व नारी का.

ममता की मूरत है, सेवा भाव अटूट भरा है,
माँ, बेटी क्‍या बहू, बहिन में है प्रभुत्‍व नारी का.

मंगल सूत्र पहन मंगल की करे कामना सब की,
अस्मिता से विचलित स्मिता में है प्रभुत्‍व नारी का.   

निष्‍काम कर्म की प्रतिमूरत, देवी है, श्रद्धा है,
जीवन के हर संस्‍करण में है प्रभुत्‍व नारी का.

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