1. मकर संक्रांति
देश काल अब नूतन करवट बदल रहा है.
सूर्य संक्रमण कर अपना पथ बदल रहा है.
आज एक मृत्युंजय का निर्वाण दिवस है,
भीष्म प्रतिज्ञा करें जीवन पथ बदल रहा है.
2. दान-पुण्य
दान-पुण्य हो, दान-धर्म हो या हो जीवन धर्म.
रक्षा इसका कवच दयानिधि है जीवन का मर्म.
हर युग में है दान-पुण्य से बना मनुष्य महान्,
क्या दधीचि क्या कर्ण सभी का दान-पुण्य सत्कर्म.
देश काल अब नूतन करवट बदल रहा है.
सूर्य संक्रमण कर अपना पथ बदल रहा है.
आज एक मृत्युंजय का निर्वाण दिवस है,
भीष्म प्रतिज्ञा करें जीवन पथ बदल रहा है.
2. दान-पुण्य
दान-पुण्य हो, दान-धर्म हो या हो जीवन धर्म.
रक्षा इसका कवच दयानिधि है जीवन का मर्म.
हर युग में है दान-पुण्य से बना मनुष्य महान्,
क्या दधीचि क्या कर्ण सभी का दान-पुण्य सत्कर्म.
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