4 जनवरी 2017

तीन मुक्‍तक

1 (चित्राभिव्‍यक्ति)
चिडि़यों ने सीखा है जैसे पढ़ कर गाना गाना
देख चकित हैं जैसे यह सब, है जाना पहचाना.
चूँ-चूँ करती फुदक-फुदक कर, गौरैया गाती है,
आओ सखियो सीखें नये साल में नया तराना. 
2
समय अनुकूल हो, सफलता के आसार बढ़ जाते हैं.
अपनों से दूरियाँ, गैरों के व्यवहार बढ़ जाते हैं.
सफलता का नशा भी कुछ ऐसा ही है जैसे 'आकुल',
चाँद को बढ़ता देख समंदर में ज्वार बढ़ जाते हैं.
3
समय प्रतिकूल हो तो, जहाँ में कुदरत भी बदल जाती है
गैरों को क्‍या दोष अपनों की फितरत भी बदल जाती है
कहते हैं समय मौसम की तरह आता-जाता है आकुल,
समय घाव भरता है, समय पर किस्‍मत भी बदल जाती है


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