छंद- पियूष पर्व
पदांत-
हो सदा
समांत-
आरी
भावना
कल्याणकारी हो सदा.
कर्मणा
भी सदाचारी हो सदा.
शांति
की हो कामना सदैव ही,
अंत
तक पर धैर्यधारी हो सदा.
बुद्धिमत्ता,
शौर्य अरु धन-धान्य हो,
मित्रता
उससे भी’ भारी हो सदा.
साहसी
भी हो मनोबल उच्च हो,
युद्ध
भी हो तो तै’यारी हो सदा.
धर्म
एवं सत्य की हो जीत यह,
सभ्यता-संस्कृति
हमारी हो सदा.
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