12 दिसंबर 2017

नहीं मौत लेती कभी जिंदगी (गीतिका)


आधार छंद- द्वि गुणित शक्ति (महाशक्त्‍िा)
122 122 122 12 // 122 122 122 12
पदांत- उसे लाजमी चाहिए
समांत- आना

नहीं मौत लेती, कभी जिंदगी, बहाना उसे लाजमी चाहिए.
अगर दूर तक चल पड़ी जिंदगी, बचाना उसे लाजमी चाहिए.

जहाँ फूल हैं, शूल होंगे सही, न सँभले कभी घाव शायद मिलें,
बने बस नहीं घाव नासूर वह, मिटाना उसे लाजमी चाहिए.  

डरे आँधियों से न तूफान से, डरेगी नहीं जिंदगी मौत से,
न टूटे कभी हौसला बात ये, बताना उसे लाजमी चाहिए.

अगर झुक रहा है नहीं आदमी, अहं तब बसेरा करेगा समझ,
जिसे जिंदगी ने सभी कुछ दिया, हराना उसे लाजमी चाहिए.

नहीं मौत से जिंदगी हारती, सदा हार जाता है’ इंसान ही,
रहा चार कंधों का ही कर्ज जो, चुकाना उसे लाजमी चाहिए.

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