14 फ़रवरी 2018

महाशिवरात्रि पर एक गीतिका

गीतिका
छंद- गगनांगना छंद
शिल्‍प विधान- चौपाई+9, अंत 212.
पदांत- हैं
समांत- ओग

अभूतपूर्व शिव-शक्ति का, श्रीशिव योग हैं .
सृजन-संहार का इक शाश्‍वत, शिव उद्योग हैं.

सभी भाषाओं के भी उद्गम, हैं नादब्रह्म जो,
दशावतारी भी हैं वे कैसा, शिव संयोग हैं.

शंकराचार्य भजते शिवस्य हृदयं विष्णुको,
निराकार-साकार अनोखा, शिव सुयोग हैं.

अश्वत्थामा, कालभैरव, दुर्वासा, वृषभ,
नंदी, पिप्पलाद ये शिवांश, शिव आभोग हैं.

विश्वनाथ, विश्वगुरु नटराज, पशुपतिनाथ का,
जीवन दर्शन आदि आनंद, शिव प्रयोग हैं.

प्रकट हुए शिवलिंग रूप में, वे शिवरात्रि को,
जीवन सुदर्शन तभी अप्रतिम, शिव नियोग हैं.

आकुलनित्य भजें बैरागी, शिवा गृहस्थ को,
वे सर्वव्याप्त अशोकारिष्ट, शिव सहयोग हैं.
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