गीतिका
पदांत-
हैं शिव
शिव-शक्ति
का ही अभूतपूर्व, योग हैं शिव.
सृजन-संहार
का इक शुभ उद्योग हैं शिव.
सभी
भाषाओं के भी उद्गम नादब्रह्म हैं वे,
दशावतारी
भी हैं वे कैसा संयोग हैं शिव.
शिवस्य
हृदयं विष्णु शंकराचार्य उवाच
निराकार-साकार
अनोखा सुयोग हैं शिव.
अश्वत्थामा,
कालभैरव, दुर्वासा, वृषभ,
नंदी,
पिप्पलाद, शिवांश आभोग हैं शिव.
विश्वनाथ,
महाकाल, व विश्वगुरु नटराज,
जीवन
के स्पंदन का आनंद प्रयोग हैं शिव.
शिवंलिंग
रूप में प्रकट हुए शिवरात्रि को
जीवन
सुदर्शन का अप्रतिम नियोग हैं शिव.
पूजें
सभी बैरागी गृहस्थ को ‘आकुल’,
वे ही व्याप्त
अशोकारिष्ट प्रयोग हैं शिव.
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