आज लोकोत्सव शीतला अष्टमी की सबको बधाई
छंद- दोहा
शिल्प विधान- (1) विषम चरण 33232 या 4432 चरणांत 212 (2) सम चरण- 3323 या 443 चरणांत 21.
छंद- दोहा
शिल्प विधान- (1) विषम चरण 33232 या 4432 चरणांत 212 (2) सम चरण- 3323 या 443 चरणांत 21.
1
आज शीतला अष्टमी, रहें सजग अब लोग.
ठंडा बासी अब नहीं, ताजा खायें लोग.
2
छाछ, दही, मट्ठा पियें, रोज कलेऊ साथ.
पर अचार वर्जित रहे, उपर्युक्त के साथ.
3
अधिक मास इस वर्ष है, ऋतु विलम्ब सम्भाव्य.
परिवर्तन पर दृष्टि हो, सजग करें लिख काव्य.
4
पर्व शीतला अष्टमी, समझाती है आज,
ताजा ही खायें सभी, कल से सकल समाज.
5
भोजन इतना ही बने, व्यर्थ न फैंकें अन्न.
समय अन्न दोनों बचें, मन भी रहे प्रसन्न.
6
ग्रीष्म-शरद का संक्रमण, देता व्याधि अनेक.
लें जुलाब इस माह में, घर-घर में प्रत्येक.
7
चेताता है चैत्र भी, कहें शास्त्र विद्वान.
इसीलिए नववर्ष में, करता नीम निदान.
8
सम्वत्सर पर नीम का, करें सभी उपयोग,
व्याधि हरे है कल्प यह, प्रकृति प्रदत्त प्रयोग.
9
रोग शीतला अब नहीं, करती रूप कुरूप,
अब उन्मूलन हो गया, वह न रही विद्रूप.
10
’आकुल’ माता शीतला, पूजे सारा लोक.
प्रकृति प्रदूषण मुक्त हो, स्वच्छ रहे भूलोक.
-आकुल
1. छाछ- दही बिलो कर मक्खन निकालने के बाद बचा पेय 2. मट्ठा- बिना मक्खन निकाले दही बिलोने से बना पेय 3. कलेऊ- प्रात:कालीन नाश्ता, प्रातराश, कलेवा 4. अधिक मास- देशी वर्ष में जैसे हर माह तिथि क्षय का विधान है उसी प्रकार अधिक मास का भी विधान है, इसे मलमास भी कहा जाता है, चूँकि ऋतु विलम्ब के कारण प्राकृतिक प्रकोप की सम्भावना के चलते जीवनचर्या प्रभावित होती है, इसलिए इस काल में शुभ प्रसंग विवाहादि वर्जित हैं 5. कल्प- वैद्यक उपचार, विधि विधान से एक ही वस्तु से किया गया निदान (आयुर्वेद) 6. जुलाब- रेचक औषधि का सेवन (आयुर्वेद).
आज शीतला अष्टमी, रहें सजग अब लोग.
ठंडा बासी अब नहीं, ताजा खायें लोग.
2
छाछ, दही, मट्ठा पियें, रोज कलेऊ साथ.
पर अचार वर्जित रहे, उपर्युक्त के साथ.
3
अधिक मास इस वर्ष है, ऋतु विलम्ब सम्भाव्य.
परिवर्तन पर दृष्टि हो, सजग करें लिख काव्य.
4
पर्व शीतला अष्टमी, समझाती है आज,
ताजा ही खायें सभी, कल से सकल समाज.
5
भोजन इतना ही बने, व्यर्थ न फैंकें अन्न.
समय अन्न दोनों बचें, मन भी रहे प्रसन्न.
6
ग्रीष्म-शरद का संक्रमण, देता व्याधि अनेक.
लें जुलाब इस माह में, घर-घर में प्रत्येक.
7
चेताता है चैत्र भी, कहें शास्त्र विद्वान.
इसीलिए नववर्ष में, करता नीम निदान.
8
सम्वत्सर पर नीम का, करें सभी उपयोग,
व्याधि हरे है कल्प यह, प्रकृति प्रदत्त प्रयोग.
9
रोग शीतला अब नहीं, करती रूप कुरूप,
अब उन्मूलन हो गया, वह न रही विद्रूप.
10
’आकुल’ माता शीतला, पूजे सारा लोक.
प्रकृति प्रदूषण मुक्त हो, स्वच्छ रहे भूलोक.
-आकुल
1. छाछ- दही बिलो कर मक्खन निकालने के बाद बचा पेय 2. मट्ठा- बिना मक्खन निकाले दही बिलोने से बना पेय 3. कलेऊ- प्रात:कालीन नाश्ता, प्रातराश, कलेवा 4. अधिक मास- देशी वर्ष में जैसे हर माह तिथि क्षय का विधान है उसी प्रकार अधिक मास का भी विधान है, इसे मलमास भी कहा जाता है, चूँकि ऋतु विलम्ब के कारण प्राकृतिक प्रकोप की सम्भावना के चलते जीवनचर्या प्रभावित होती है, इसलिए इस काल में शुभ प्रसंग विवाहादि वर्जित हैं 5. कल्प- वैद्यक उपचार, विधि विधान से एक ही वस्तु से किया गया निदान (आयुर्वेद) 6. जुलाब- रेचक औषधि का सेवन (आयुर्वेद).
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