14 अप्रैल 2023

बुलंद हो इकबाल

गीतिका

छंद- रूपमाला (मात्रिक / वाचिक)
मापनी- 2122 2122 2122 21 
पदांत- 0
समांत- आल 

देश के उत्‍कर्ष का बुलंद हो इकबाल । 
प्राण भी दे कर रखें ऊँचा वतन का भाल।1।
 
देशहित सर्वोच्‍च हो पीछे न हटना मित्र,
अब सँवारें देश बन के बागबाँ दिग्‍पाल।2। 
 
शांन्ति की खातिर सँभालें सरहदों पे वीर,
देश में आफत मचे बनना हमें परकाल।3।     
 
देश में चहुँ ओर हो सुख शांति का संचार,
प्रेम के मधुबन खिलें, जन जन रहें खुशहाल।4।
 
नौनिहालों ने लिखा है देश का भवितव्‍य,
है उन्‍ही के हाथ में उत्‍थान अब हरहाल ।5।
 
 

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