मुक्तक
छंद- प्लवंगम्
विधान- प्रति
चरण मात्रा २१ मात्रा, चरणारंभ गुरु, चरणांत गुरु लघु गुरु (रगण), यति ८-१३।
1
अंधविश्वास, एक जहर है मानिए ।
सोच समझ कर, भी न इसे अपनाइए ।
जन जाग्रति ही, मात्र इक समाधान है,
शिक्षा की लौ, चहूँ दिशा पहुँचाइए।
2
अंधविश्वास,
ऐसा पक्षाघात है।
तन पर होता, जैसे हृदयाघात है।
जीवन भर यह, देता हमको त्रास ही,
कालरात्रि है, जिसमें नहीं प्रभात है।
छंद- प्लवंगम्
अंधविश्वास, एक जहर है मानिए ।
सोच समझ कर, भी न इसे अपनाइए ।
जन जाग्रति ही, मात्र इक समाधान है,
शिक्षा की लौ, चहूँ दिशा पहुँचाइए।
तन पर होता, जैसे हृदयाघात है।
जीवन भर यह, देता हमको त्रास ही,
कालरात्रि है, जिसमें नहीं प्रभात है।
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