गीतिका
छंद- रूपमाला
मापनी- 2122 2122 2122 21
पदांत- आज
समांत- इत
पुस्तकें पढ़ कर हुए हम सब सुशिक्षित आज।
ना पढ़े उनके हुए जीवन अलक्षित आज।1।
कल रचेंगी इक नई फिर पुस्तकें तारीख,
जो समय ने था रचा इतिहास रक्षित आज।2।
वक्त कहता पुस्तकों की ही कहानी नित्य,
पुस्तकों ने ही दिए कितने परीक्षित आज।3।
शैक्सपीयर, गुप्त, दिनकर या विदुर चाणक्य,
ढूँढ़ लेंगी पुस्तकें ही जो अपेक्षित आज।4।
पुस्तकों को आज ‘आकुल’ सब बनाएँ मित्र,
कल पढ़ेंगी पीढ़ियाँ यदि ये सुरक्षित आज।5।
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