15 अप्रैल 2023

इंसान के बदलते व्‍यवहार देखे

छंद- वसंत तिलका  (वार्णिक)
मापनी 221 211 121 121 22
पदांत- देखे 
समांत- आर 
बाजार के हर चढ़ाव उतार देखे।
इंसान के बदलते व्यवहार देखे।1।

देखे हरेक शह पे लुटते बसेरे,
रूखे कहीं पर गुले गुलजार देखे।2।

पाये ग़रीब करते मनुहार प्राय:,
देते नसीहत सदा खुददार देखे।3।

अंधानुशासन वहाँ घटता नहीं है,
ऐसे कई धरम के दरबार देखे।4।

जी होशियार रह जीवन सादगी से
संस्कारवान कितने परिवार देखे।5।



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