छंद-
वसंत तिलका (वार्णिक)
मापनी 221 211 121 121 22
पदांत- देखे
समांत- आर
मापनी 221 211 121 121 22
इंसान के बदलते व्यवहार देखे।1।
देखे हरेक शह पे लुटते बसेरे,
रूखे कहीं पर गुले गुलजार देखे।2।
पाये ग़रीब करते मनुहार प्राय:,
देते नसीहत सदा खुददार देखे।3।
अंधानुशासन वहाँ घटता नहीं है,
ऐसे कई धरम के दरबार देखे।4।
जी होशियार रह जीवन सादगी से
संस्कारवान कितने परिवार देखे।5।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें