11 जून 2023

कान्‍हा कृष्‍णमुरारी तुम

गीतिका

छंद- मानव
पदांत- तुम
समांत- आरी

कान्‍हा कृष्‍णमुरारी तुम ।

मुरलीधर बनवारी तुम ।1।

ग्‍वाल सखा गोपाला थे,

ब्रज के रास बिहारी तुम ।2।

शीश मुकुट गल वैजंती, 

चक्र सुदर्शनधारी तुम ।3।

इंद्रदमन लीला कर के,

बन बैठे गिरिधारी तुम।4।

लीलाओं से जग जाना,

आए बन अवतारी तुम।5।

सार्थक जब अवतार हुआ,

लौटे बन संसारी तुम ।6।

गीता का संदेश दिया,

खेले विजयी पारी तुम ।7।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें