13 जून 2023

सदैव सूर्य ही देता रहा उजास

 गीतिका

छंद- दीपकी

विधान-  प्रति चरण मात्रा २० मात्रा, चरणांत तीन लघु या गुरु लघु (जगण (121), तगण (221), नगण (111)।

पदांत- 0, समांत- आस

सदैव सूर्य ही देता रहा उजास।

चंद्रमा में भी है उसी का विभास।1।    

 

कितने सूरज हैं छिपाए है गगन,

हर सितारा सूर्य है पर हैं न पास।2।


इस धरा इस सृष्टि को मिली है भेंट,

सौरऊर्जा से हुआ जग में विकास।3।

 

चाँद सूरज ने किए हमको यहाँ,

कितने ही संस्‍कार और वाग्‍विलास।4।

 

क्रियाकलाप सूर्य से होते सभी,

सृष्टि की अनुपम सौग़ात है प्रभास।5।

   

प्रकाश ही है सूर्य का संजीवनी,

चेतना के मूल में इसका निवास।6।

 

सूर्य से ही रक्षित पंचतत्‍व हैं,

असंतुलन न हो करते रहें प्रयास।7।   


   

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