5 जून 2023

जीवन जिसका सदा चला, वह ही जिए सानंंद

गीतिका
छंद- गीता
प्रत्येक चरण में 26 मात्राएँ होती हैं; 14,12 पर यति होती है , आदि में सम कल होता है ; अंत में 21 आता है और 5,12,19,26 वीं मात्राएँ अनिवार्यतः लघु 1 होती हैं।
पदांत- 0, समांत- अंद
 
जीवन जिसका  सदा चला, वह ही जिए सानंद।
रुका मौत से भेंट हुई, बचा जिए स्‍वच्‍छंद। 1।

जो कर सके न जीवन में, उसका कर नहीं फिक्र।

जितना चले जीत उतनी, अमोल वचन आनंद ।2।          

ठहरा सदा प्रदूषित जल, प्रकृति सरित् की प्रवाह,

रोको मत तुम बाँध बना, तट रह न जाएँ चंद।3।

तीर्थ पुज रहे नदी तटों, बाँधों इन पर न सेतु,

हो शायद तटतीर्थ कहीं, तब हो न जाएँ बंद।4।

 पानी हवा आग रखते, सदैव धरा का ध्‍यान,

प्रकृति रखे मानव ऐसी,  गति  हो न जाए मंद।5।                                  

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