2 जून 2023

सत्‍य परेशान हो, हारते कभी नहीं

गीतिका

छंद- शिव (मात्रिक)
विधान- 11 मात्रा भार, 3,3,3, 2 का संयोजन,  अंत सगण/ मगण/ नगण (112/222/111), यति अंत में।
पदांत- कभी नहीं
समांत- अते   

सत्‍य परेशान हो, हारते कभी  नहींं।
झूठ के न पाँव हैं, जीतते कभी नहीं।1।


लोग झूठ के लिए, झूठ कई बोलते,
झूठ जो न बोलते, सोचते कभी नहीं।2।

सत्‍य है कि न्‍याय को, साक्ष्‍य सदा चाहिए,
भले मिले देर से, छूटते कभी नहीं।3।

मौन से कभी कभी, हादसे कई हुए,
झूठ से अगर रुके, टोकते कभी नहीं।4।

बात सिर्फ यही सच, स्‍वर्ग नर्क यहीं है,

सत्‍य बोल कष्‍ट वे, भोगते कभी नहीं।5।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें