गीतिका
छंद- अरिल्ल
चार चरण, सम मात्रिक छंद
चरणांत में भगण (211) या यगण (122)
पदांत- नहीं है
समांत- ओड़
सच की कोई होड़ नहीं है।
सच का कोई जोड़ नही है।1।
सच से पर्दा सत्य उघाड़े,
झूठ कहीं बेजोड़ नही है।2।
सच का सीधामार्ग बोल सच,
सत्यमार्ग में मोड़ नही है।3।
झूठ भागता दृढ़ रहता सच,
सच कोई रणछोड़ नहीं है।4।
लाख परेशानी आएँ पर,
सच कोई घरफोड़ नहीं है।5।
देता झूठा लाख दुहाई,
सच्चे का गठजोड़ नही है।6।
सच है ‘सत्यमेव जयते’ ही,
सच का कोई तोड़ नही है।7।
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