गीतिका
![]() |
मुक्तक-लोक चित्र मंथन 504 |
जीवित संस्कार सब आज हैं,
हर रिश्तों में आज भी मिले,
कदापि नहीं मानी हार है,
आई युगों से है झेलती,
अब तो 'आकुल' इसे त्राण दें ,
1. अथर्व- श्रीगणेश 2. शर्व- अंधकार 3. दर्व- राक्षस, आततायी।
गीतिका
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मुक्तक-लोक चित्र मंथन 504 |
जीवित संस्कार सब आज हैं,
हर रिश्तों में आज भी मिले,
कदापि नहीं मानी हार है,
आई युगों से है झेलती,
अब तो 'आकुल' इसे त्राण दें ,
1. अथर्व- श्रीगणेश 2. शर्व- अंधकार 3. दर्व- राक्षस, आततायी।
गीत (छंद- चौपई)
जयंती वर्ष- 30वें वर्ष के लिए मुक्ता जयंती, 35 वें वर्ष के लिए मूंगा जयंती, 40 वे वर्ष के लिएरूबी जयंती, 45वें वर्ष के लिए नीलम जयंती, 50 वर्ष के लिए स्वर्ण जयंती, 60वें और 75वें वर्ष लिए हीरक जयंती, 65वें वर्ष के लिए नीलम जयंती, 70वें वर्ष केलिए प्लैटिनम जयंती और अंत में 80वें वर्ष के लिए ओक जयंती मनायी जाती है । वर्तमान में 90वीं वर्षगांठ का कोई नाम नहीं है, शायद एक दिन ऐसा हो !
छन्द-
कीर्ति (वार्णिक)
हरि ओम भजो जन सारे ।
जब जीवन नश्वर प्राणी,
अधि लालच मोह न अच्छा
मनभेद करे तन मैला,
वसुधैवकुटुम्ब बनाओ,
सब ‘आकुल’ की सुन लो तो
बच्चे ही हैं जिनको मौसम, कभी हरा ना पाएगा,
राह बदलने की तैयारी, सूरज ने है तय कर लीं,
ली अँगड़ाई जीवन ने यह पर्व अनोखा बच्चों का,
फूली सरसों खेत लहलहाए, जन जीवन हर्षाया,
गजक, रेवड़ी, तिल-पपड़ी की है बहार बाजारों में,
लिए हौसला चले लिए बच्चे सब डोर पतंगों को ।