31 जनवरी 2024

नारी पर सदा ही गर्व हो

गीतिका

छन्‍द- शृंगार 
विधान- प्रति चरण मात्रा 16, आरंभ गुरु से व  अंत लघु गुरु/ रगण (212)
पदांत- हो
समांत- अर्व

मुक्‍तक-लोक चित्र मंथन 504
लोकोत्सव त्योहार सर्व हो।
नारी बिन असम्भव पर्व हो।1

जीवित संस्कार सब आज हैं,

नारी से ही सदा अथर्व हो।2

हर रिश्तों में आज भी मिले,

चाहे गैर, निज, गंधर्व हो।3

कदापि नहीं मानी हार है,

पिलती रही प्रकाश-शर्व हो।4

आई युगों से है झेलती,

कष्ट, हर्ष, मर्द या दर्व हो।5

अब तो 'आकुलइसे त्राण दें ,

नारी पर बस सदा गर्व हो।6

1. अथर्व- श्रीगणेश 2. शर्व- अंधकार 3. दर्व- राक्षस, आततायी।

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