छन्द-
सारिका (वार्णिक) घनाक्षरी की भाँति
विधान- प्रति चरण 26 वर्ण
6,6,6,8 पर यति अनिवार्य । अंतिम आठ वर्ण लघु। प्रथम दो षट्कल तुकांत।
पदांत-
पर तय
समांत-
अन
बिना
वजन क्यूँ, बोल वचन तू, इसका प्रभाव, बहु जन पर तय।
कर्ज
नासूर है, ऐसा फितूर है, इसका प्रभाव, घर धन पर तय।
एकाकीपन
भी, है एक त्रासदी, असमंजसता, पल पल क्षण क्षण ,
सुरसा
की भाँति, बढ़ती है भ्रांति, इसका प्रभाव, तन मन पर तय।
पराश्रयी
होना, ज्यों बोझा बनना, जीवन में कर, तय पर कर कुछ,
बूँद
बूँद झट, घटता है घट, इसका प्रभाव, धड़कन पर तय।
स्वाभिमान
रख, वक्त को परख, कूट है जीवन, सुपथ हर कुटिल,
न ठौर ठिकाना, कुलक न दाना, इसका प्रभाव, बचपन
पर तय।
वृक्षारोपण हो, ना आरोपण हो, प्रकृति बचा तू, दल बल
कल सँग,
दे न हमें बस, रौद्र रूप दस, इसका प्रभाव, कन कन
पर तय।
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1.
कुलक- मुखिया,
2. प्रकृति के दस रौद्र रूप-
दावानल, बड्वानल, बाढ़, भूकम्प, अतिवृष्टि, सूखा, महामारी, अकाल मृत्यु
और कुपोषण
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