छंद- शक्ति
मापनी- 1222
1222 1222
पदांत- इतने हैं
समांत- आद
चमन में हो गए सैयाद इतने
हैं.
मगर पंछी भी’
अब उस्ताद इतने हैं.
हुए अब तक बहुत बरबाद इतने
हैं.
वही जो जानते खोने की'
कीमत को
सँभालेंगे वहीं जल्लाद इतने
हैं.
प्रशासन,
देश कुछ लोगों से’ है चलता,
पड़ी लोगों को'
कब आज़ाद इतने हैं.
अगर सुलझा सकें मिलजुल
समस्यायें,
कमी कब देश में आबाद इतने
हैं.
मगर ऐसा नहीं होता जमाने में,
सड़क पर भी बहुत नाशाद इतने
हैं.
करो खुद को ही'
अब तैयार सब ‘आकुल’,
खुदा के पास तो फरियाद इतने
हैं.
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