छंद- कुंडल
विधान-
22 मात्रा, 8,8,6 पर यति अंत 2 गुरु.
समांत-
आएगी
शरद
चाँदनी,
अमृत घट भर, लाएगी.
ऋतु
सर्दी की,
धरती पर अब, छाएगी.
स्वागत
है यह,
शरदोत्सव नव, ऋतु ही का,
शिशिर
यामिनी,
सबको अब मन, भाएगी.
नख
से शिख तक,
गर्म वसन हो, खाना भी,
गरम
हो'
खाने, की लत अब लग, जाएगी.
नया
साल ले,
कर फिर बसंत, आएगा,
शिशिरांत
संग,
होली भी फिर, आएगी.
प्यार पलेगा, रात चौगुना, दिन दूना,
उत्सव
संस्कृति,
गीत प्रीत के, गाएगी.
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