छंद- सरसी/कबीर छंद.
विधान- 16, 11 पर यति अंत 21
समांत- आन
लोक नृत्य संगीत, गीत ही,
जिसकी है पहचान.
गीता, वेद, कुरान, बाइबिल,
पूजे जाते ग्रंथ,
यह वह देश जहाँ कण कण में,
बसता है भगवान.
जलनिधि पाँव पखारे, हिमगिरि,
जिसको संरक्षण दे,
मातृभूमि है भारत मेरा,
मुझको है अभिमान.
बलिदान जहाँ का है गौरव,
अहिंसा’ परमोधर्म,
‘सत्यमेव जयते’ है अपना,
राष्ट्रिय वाक्य प्रधान.
है अशोक का चिह्न राष्ट्रीय,
हैं संवेदनशील ,
जन-गण-मन अधिनायक जय है,
अपना राष्ट्रिय गान.
जहाँ श्रेष्ठ महाभारत और
रामायण हैं ग्रंथ,
जहाँ गीत संगीत का एक, है
शास्त्रीय विधान.
जहाँ पुण्य सलिलाओं के तट,
पर बसते हैं तीर्थ,
दशावतारों से पुण्यभूमि, है
यह स्वर्ग समान.
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