छंद- मधुमंजरी
पदांत-
है
समांत-
आनी
नवरात्रि
की, दुनिया दिवानी है.
महिमा
सदा, सबने बखानी है.
आओ
सभी दरबार में आओ,
माँ
को चुनरिया तो चढ़ानी है.
नित
डॉंडियाँ गरबा करें सारे,
माँ
को रिझाएँ मातरानी है.
समृद्धि
सुख वरदायिनी देवी,
दुर्गा
जया गौरी भवानी है
हे
शारदे पथभ्रष्ट होऊँ ना ,
तुझसे सदा सद्बुद्धि पानी है.
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