छंद- मत्तगयंद सवैया
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पक्ष कनागत का फिर आज हुआ
शुरु याद करें पितरों को.
मात पिता जिनके नहिं भू पर
और सभी गुजरे बिसरों को.
लें सब आशिष और दुआ जब तर्पण
दें सबरे बिछरों को.
याद करें उनको जिनका सँग साथ
नहीं जिगरी मितरों को.
2. सवैया मुक्तक
रोष दिखा इस बार निसर्ग
प्रचंड प्रभंजन छोड़ रहे हैं
चौपट गाँव हुए शहरों पर कोप
फटा घर फोड़ रहे हैं.
बरखा ने इस बार मचाई वर्षा ऋतु
में घोर तबाही,
सागर
भी अब धीरज खो विकराल हुए तट तोड़ रहे हैं.
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